शरीर की आर्मी को मज़बूत बनाएं ऐसे...

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शरीर को चाहिए पूरी नींद, एक्सरसाइज, शुद्ध खानपान और सही रुटीन। इन चीजों को हम जितना अपनाएंगे, अपनी लाइफ का हिस्सा बनाएंगे, हम उतने ही फिट होंगे। हमारी इम्यूनिटी भी उतनी ही दमदार होगी। हम बीमार कम से कम होंगे। वैसे तो कोरोना महामारी को शांत हुए 3 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, लेकिन मंकीपॉक्स जैसी परेशानियां दस्तक देती रहती हैं। इसकी कोई गारंटी नहीं कि बड़ी परेशानी फिर न आए। वैसे छोटी बीमारियां भी जब बार-बार आने लगे तो नुकसान ज्यादा भी हो सकता है। इसलिए इम्यूनिटी को धार देते रहें।
हम रुटीन की शुरुआत सुबह से करते हैं। जब नींद पूरी होगी, तभी तो सुबह भी हेल्दी होगी। इसके लिए जल्दी बेड पर जाना होगा और सोना होगा। हकीकत यह है कि नींद बहुत ही जरूरी चीज है। एक अच्छे दिन की शुरुआत अच्छी नींद से ही होती है।
कब है सोना
10 से 10:30 तक जरूर सोने चले जाएं। इसके बाद 7-8 घंटे की नींद पूरी करें। अगर रात में नींद पूरी नहीं होती तो सुबह उठकर एक्सरसाइज और ब्रेकफस्ट आदि करने के घंटे भर बाद एकाध घंटे की नैप ले सकते हैं।
उठने के फौरन बाद
-सबसे पहले शरीर को डिटॉक्स करें। 1 गिलास सादा या गुनगुना पानी पिएं। इससे शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं। एक गिलास पानी में आधा नीबू निचोड़ कर भी पी सकते हैं। अगर फ्रेश होने में परेशानी (कब्ज) हो तो इसका मतलब है कि आपकी डाइट में फाइबर (साग, सब्जी, सलाद और फल) की कमी है।
-फ्रेश होने के 10-15 मिनट बाद 1 प्लेट सलाद या 1 फल खासकर सेब या 1 केला या 1 मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स (बादाम, अखरोट, चिया सीड्स आदि) खाएं। अगर जरूरत महसूस हो तो 1 कप ग्रीन टी ले सकते हैं। इस वक्त हमारे शरीर की जज्ब करने की क्षमता होती है।
वॉक है जरूरी
इसे अपने हर दिन के रुटीन में शामिल कर लें। हर दिन 45 मिनट से 1 घंटे का वॉक कर सकते हैं।
एक्सरसाइज
अगर वॉक करने का मन न करे तो 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। यह ध्यान रहे कि अगर फल या ड्राई फ्रूट्स खाया है तो खाने के करीब 1 घंटे बाद ही एक्सरसाइज करनी है।
योग का विकल्प भी
यही 40 मिनट आप योग को भी दे सकते हैंः
20 मिनट योगासनः ताड़ासन, त्रिकोणासन, सूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, धनुरासन, शशांकासन आदि। स्ट्रेचिंग के लिए योगासन बहुत अच्छे हैं। अलग-अलग आसन नहीं करना चाहते या वक्त की कमी है तो 20 बार सिर्फ सूर्य नमस्कार कर लें।
10 मिनट प्राणायामः कपालभाति, अग्निसार क्रिया, अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका और भ्रामरी प्राणायाम।
10 मिनटः ध्यान
नहाना एंजॉय करें
-नहाने से पहले नाक के दोनों नथुनों में दो बूंद सरसों तेल जरूर लगाएं। इसे उंगली पर लगाकर दोनों नथुनों में लगा लें। यह ध्यान रहे कि नाक में उंगली डालने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें। फिर तेल लगाने के बाद भी साबुन से धो लें।
-नहाने में वक्त दें। शरीर को रगड़कर नहाएं। इससे तनाव भी दूर होगा और ताजगी महसूस होगी।
-नहाने के फौरन बाद धूप में न जाएं। कम से कम 30 मिनट का फासला जरूर हो।
पानी की न होने दें कमी
हर दिन 2 से 3 लीटर पानी जरूर पिएं। यह शरीर में वायरस आदि की संख्या को बढ़ने नहीं देता। किसी को किडनी आदि की परेशानी है तो डॉक्टर से पूछें।
दिन से रात तक ऐसे करें शरीर की सफाई........
नोट: नीचे दिए हुए उपाय में से कोई एक आप रोज अपना सकते हैं। हर दिन मुमकिन न हो तो हफ्ते में 3 से 4 दिन पर भी ऐसा कर लें।
सुबह-सबेरे
-हल्दी, गुड़, काली मिर्च और देसी घी की चटनी बनाकर सात दिनों के लिए रख लें। इसके लिए 3 चम्मच हल्दी लें, 30 ग्राम गुड़, 1 बड़ा चम्मच देसी घी और चौथाई चम्मच काली मिर्च पाउडर लेकर मिला लें। इसका आधा चम्मच सुबह-शाम गरम पानी के साथ लें। इससे अस्थमा, जुकाम, खांसी, खराश सभी दिक्कतें काबू में रहेंगी।
-रोज सुबह-शाम एक-एक चम्मच च्यवनप्राश लें। डायबिटीज है तो शुगर-फ्री च्यवनप्राश लें। सर्दियों में लोग ज्यादा लेते हैं।
-1 गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच शहद और दालचीनी का पाउडर (एक चुटकी) आधे नीबू के रस के साथ लें।
-2 से 3 चम्मच ताजे आंवले का जूस, साथ ही 1 कप गुनगुने पानी में 1 चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए।
-नीम की पत्तियों काम की हैं। सुबह के समय 4-5 नीम की पत्ती चबाकर खा सकते हैं।
दोपहर
-सूखे अदरक का 1 टुकड़ा गुड़ की दोगुनी मात्रा के साथ चबाएं। इसे दोपहर में भोजन से पहले या बाद में लें। गुड़ खाने से पलूशन का असर कुछ कम जरूर होता है और फेफड़ों को फायदा पहुंचता है। यही कारण है कि कॉटन इंडस्ट्री में हर एंप्लायी को कैंटीन में गुड़ खाने के लिए दिया जाता है।
-सौंठ तीन चुटकी, तीन तुलसी पत्ते, तीन काली मिर्च, दालचीनी का पाउडर दो चुटकी लें और इन सभी को मिलाकर काढ़ा या चाय के रूप में दोपहर बाद एक बार एक कप जरूर पिएं।
-2 चम्मच एलोवेरा जूस को 2 चम्मच गर्म पानी के साथ लें। आंवले का दो चम्मच रस, एक चौथाई चम्मच शहद और चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर पिएं तो फायदा होगा।
-1 गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और दालचीनी का पाउडर (एक चुटकी) आधे नीबू के रस के साथ लें।
रात
एक कप गर्म पानी के साथ हरितकी (हरड़) का चूर्ण 45 दिनों के लिए लें। इसके सेवन फेफड़े मजबूत होंंगे और यह शरीर को प्रदूषण से लड़ने के काबिल बनाएगा। खाने के आधे घंटे बाद लें।
राइट डाइट से बढ़ाएं इम्यूनिटी....
-सामान्य खाना ही लें तो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद रहेगा। सुबह का नाश्ता वही करें जो आम दिनों में करते हैं। बस ध्यान रखने वाली बात है कि जो भी खाएं, वह सुपाच्य हो क्योंकि भोजन और इम्यूनिटी एक-दूसरे के पूरक हैं।
-घर पर हैं तो ऐसा न करें कि जो मिला, खा लिया। जंक फूड का सेवन न करें।
-हकीकत यह है कि सही खाने से पाचन शक्ति मजबूत होगी और अगर पाचन शक्ति मजबूत है तो वह इम्यूनिटी को भी मजबूत करती है।
-हर दिन नीबू या आंवला या फिर संतरा, अमरूद जैसे फलों का सेवन करने से शरीर को बहुत फायदा होता है।
-ठंडी चीजों जैसे आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक आदि से बचना चाहिए।
-जूस के बजाय कच्चा फल खाना बेहतर है। जूस में फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है जबकि फाइबर हमारे शरीर के लिए बहुत अहम है। यह हमें स्प्राउट्स (अंकुरित चना, मूंग आदि रूप) से भी मिलता है। इसके अलावा सलाद, मौसमी फल और सब्जी इसके लिए बेहतरीन सोर्स हैं।
-हर दिन खिचड़ी खाना मुश्किल है, लेकिन हफ्ते में दो दिन तो खा ही सकते हैं। इसके साथ
एक छोटा चम्मच देसी गाय घी खाना भी फायदेमंद है।
-शाम या रात में फल या ठंडी चीजें खाने से बचें।
विटामिन-C से इम्यूनिटी कारगर
हर दिन चाहिए...
वैसे तो शरीर के लिए सभी विटामिन जरूरी हैं, लेकिन इस विटामिन की चर्चा कुछ ज्यादा होती है। आखिर यह शरीर के लिए सुरक्षा कवच तैयार करने में मदद जो करता है। यह हड्डियों, त्वचा और रक्त नलिकाओं के लिए खास है। चूंकि शरीर इसे जमा करके नहीं रख सकता। इसलिए हर शख्स को हर दिन 65 से 90 mg विटामिन-C जरूर लेना चाहिए।
विटामिन-C की कमी होने पर
-अक्सर जुकाम या बुखार होना
-काम करते हुए जल्दी थक जाना
-अचानक वजन कम होना
-बालों का रफ होना या बाल झड़ना
-घाव धीरे-धीरे भरना
-मसूड़े कमजोर होना
-स्किन का ग्लो कम होना
-हाई बीपी रहना
(नोट: इन समस्याओं के पीछे दूसरी वजहें भी हो सकती हैं।)
विटामिन-C के ये हैं फायदे
1. इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए जरूरी है।
2. यह एक शानदार एंटिऑक्सिडेंट है। इस रूप में यह डाइजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त रखता है। इसलिए यह कोशिकाओं की मरम्मत करने में भी मददगार है। यह फ्री-रेडिकल्स को कम करता है। यह नए कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है। इसलिए हमें तरोताजा रखने में भी इसकी अहम भूमिका होती है।
3. हाइपरटेंशन कम करने में विटामिन-C ब्लड प्रेशर को सही स्तर पर रखता है। यह खून की नलियों को तनावरहित करता है।
4. हार्ट से जुड़ी बीमारियों में विटामिन-C शरीर में बैड कलेस्ट्रॉल को कम करके दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम करता है।
5. यह शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा में कमी करता है। फिर भी किडनी पेशंट को कितनी मात्रा में विटामिन-C हर दिन लेना चाहिए, इसके लिए अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए। यह गठिया को भी कम करने में मदद करता है।
6. अगर किसी के शरीर में आयरन कम है तो विटामिन-C उस कमी को दूर करने में भी दूर करता है। यह भोजन से आयरन को जज्ब करने में मदद करता है। आयरन सप्लिमेंट लेने वाले को विटामिन-C का डोज बढ़ा देना चाहिए।
कहां से मिलता है
इसका सबसे अच्छा सोर्स आंवला है। अगर सप्लिमेंट्स के तौर पर विटामिन-C लेंगे तो यह नेचरल की तुलना में शरीर में थोड़ा कम जज्ब होगा। रोजाना एक आंवला बड़े, बुजुर्ग या प्रेग्नेंट महिलाएं ले सकती हैं। बच्चों को भी एक आंवला रोजाना दिया जा सकता है। 5 साल से छोटे बच्चों को आंवले का मुरब्बा दे सकते हैं। कैंडी, मुरब्बा या आंवले का पाउडर खाने से हमें कच्चे आंवले की तुलना में 60 से 70 फीसदी विटामिन-C मिल सकता है। पपीता, अमरूद, पका हुआ आम, पालक और हरी सब्जियां भी विटामिन-C का बेहतर विकल्प हैं। गोलियों के रूप में विटामिन-C लेना हो तो इसकी 500 mg की गोली दिन में 2 बार ली जा सकती है।
क्या हैं फ्री-रेडिकल्स और एंटिऑक्सिडेंट्सफ्री-रेडिकल्स ऐसे ऑक्सिजन युक्त मोलिक्यूल्स होते हैं जो स्वतंत्र रहते हैं। ये भोजन के पाचन के दौरान गैरजरूरी चीजों के रूप में पैदा हो जाते हैं। फ्री-रेडिकल्स पर शरीर का काबू नहीं होता। इनमें फ्री-इलेक्ट्रॉन होते हैं। फ्री-इलेक्ट्रॉन की वजह से ये शरीर में मौजूद किसी भी जरूरी और उपयोगी पदार्थ को भी केमिकल रिऐक्शन से हानिकारक पदार्थ में बदलने की क्षमता रखते हैं। शरीर में एक स्तर तक फ्री-रेडिकल्स होने से कोई खास परेशानी नहीं होती क्योंकि शरीर में पहले से मौजूद एंटिऑक्सिडेंट्स इससे निपट लेते हैं, लेकिन पलूशन, गलत खानपान आदि की वजह से फ्री-रेडिकल्स बढ़ जाते हैं। ज्यादा फ्री-रेडिकल्स होने से ही खांसी, जुकाम और दूसरी गड़बड़ियां सामने आती हैं। शरीर के भीतर सूजन बढ़ने लगती है। सीधे कहें तो शरीर में केमिकल लोचे का असल कारण फ्री-रेडिकल्स ही हैं। हम खानपान न बदलें तो फ्री-रेडिकल्स से एंटिऑक्सिडेंट्स हारने लगते हैं और शरीर बीमार हो जाता है।
विटामिन-D सेहत की धूप
-विटामिन-D2 सब्जियों, फलों में ब्रोकली, बादाम, दूध, अंडा, मशरूम में होता है।
-विटामिन-D3 दवा के रूप में : लिक्विड, जैल, मीठे सिरप, गोली, ऑयल, मिल्क, पाउडर, इंजेक्शन से।
-सप्लिमेंट के तौर पर एक वयस्क को 60000 IU विटामिन-D की मात्रा हर हफ्ते लेनी होती है। इसे लगातार 8 हफ्तों तक यानी 2 महीनों तक लेते हैं। इसके बाद हर महीने पर 60000 IU दिया जाता है। विटामिन-D सप्लिमेंट के साथ कुछ सैशे या गोलियों में कैल्शियम सिट्रेट भी होता है। लेकिन आमतौर पर हमारा कैल्शियम कम नहीं होता, विटामिन-D ही कम होता है। हर 6 महीने में विटामिन-D का टेस्ट करवाना चाहिए। खून में इसकी प्रचुरता 30 नैनोग्राम से ऊपर और 100 से कम होनी चाहिए। 18 साल तक के बच्चों को रोजाना 800 से 1000 IU विटामिन-D की जरूरत होती है।
इसकी कमी से परेशानी: यह नहीं कह सकते कि ज्यादातर बीमारियां इस विटामिन की कमी से होती है, लेकिन ऐसा अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर बीमारियों में विटामिन-D की कमी भी जरूर मिलती है। इसलिए शरीर में इस विटामिन की कमी न होने दें। इसकी उपयोगिता की वजह से कई लोग इसे डॉक्टर विटामिन भी कहते हैं।
धूप से विटामिन-D
-धूप के सेवन से शरीर में जहां पर्याप्त मात्रा में विटामिन-D पहुंचता है, वहीं शरीर पर मौजूद बैक्टीरिया और वायरस का भी सफाया होता है।
-विटामिन-D शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है।
बच्चों की इम्यूनिटी के लिए धूप
-बच्चे के बेहतर विकास और बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन-D की खूब जरूरत होती है। पर्याप्त विटमिन-डी लेने पर ही उनकी हड्डियां मजबूत होंगी। विटामिन-D के लिए धूप में बैठना जरूरी है। जो बच्चा या बड़ा हर दिन 1 से 2 घंटे आउटडोर गेम्स खेलने में मसरूफ रहता है, अमूमन देखा जाता है कि उसके अंदर विटामिन-D की कमी नहीं होती।
-वैसे, बात चाहे नवजात की हो या फिर किशोर की, अगर विटमिन-डी का स्तर सही रखना है तो उन्हें कम से कम 1 घंटा रोज धूप में रहना या खेलना चाहिए।
धूप सेंकने का सही समय
-इस बात पर विवाद है कि विटामिन-D के लिए धूप सेंकने का सही समय क्या है? अलग-अलग एक्सपर्ट अलग-अलग टाइम बताते हैं। हम यहां आपको एक औसत समय बता रहे हैं:
-विटामिन-D2 सब्जियों, फलों में ब्रोकली, बादाम, दूध, अंडा, मशरूम में होता है।
-विटामिन-D3 दवा के रूप में : लिक्विड, जैल, मीठे सिरप, गोली, ऑयल, मिल्क, पाउडर, इंजेक्शन से।
-सप्लिमेंट के तौर पर एक वयस्क को 60000 IU विटामिन-D की मात्रा हर हफ्ते लेनी होती है। इसे लगातार 8 हफ्तों तक यानी 2 महीनों तक लेते हैं। इसके बाद हर महीने पर 60000 IU दिया जाता है। विटामिन-D सप्लिमेंट के साथ कुछ सैशे या गोलियों में कैल्शियम सिट्रेट भी होता है। लेकिन आमतौर पर हमारा कैल्शियम कम नहीं होता, विटामिन-D ही कम होता है। हर 6 महीने में विटामिन-D का टेस्ट करवाना चाहिए। खून में इसकी प्रचुरता 30 नैनोग्राम से ऊपर और 100 से कम होनी चाहिए। 18 साल तक के बच्चों को रोजाना 800 से 1000 IU विटामिन-D की जरूरत होती है।
इसकी कमी से परेशानी: यह नहीं कह सकते कि ज्यादातर बीमारियां इस विटामिन की कमी से होती है, लेकिन ऐसा अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर बीमारियों में विटामिन-D की कमी भी जरूर मिलती है। इसलिए शरीर में इस विटामिन की कमी न होने दें। इसकी उपयोगिता की वजह से कई लोग इसे डॉक्टर विटामिन भी कहते हैं।
धूप से विटामिन-D
-धूप के सेवन से शरीर में जहां पर्याप्त मात्रा में विटामिन-D पहुंचता है, वहीं शरीर पर मौजूद बैक्टीरिया और वायरस का भी सफाया होता है।
-विटामिन-D शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है।
बच्चों की इम्यूनिटी के लिए धूप
-बच्चे के बेहतर विकास और बॉडी की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए विटामिन-D की खूब जरूरत होती है। पर्याप्त विटमिन-डी लेने पर ही उनकी हड्डियां मजबूत होंगी। विटामिन-D के लिए धूप में बैठना जरूरी है। जो बच्चा या बड़ा हर दिन 1 से 2 घंटे आउटडोर गेम्स खेलने में मसरूफ रहता है, अमूमन देखा जाता है कि उसके अंदर विटामिन-D की कमी नहीं होती।
-वैसे, बात चाहे नवजात की हो या फिर किशोर की, अगर विटमिन-डी का स्तर सही रखना है तो उन्हें कम से कम 1 घंटा रोज धूप में रहना या खेलना चाहिए।
धूप सेंकने का सही समय
-इस बात पर विवाद है कि विटामिन-D के लिए धूप सेंकने का सही समय क्या है? अलग-अलग एक्सपर्ट अलग-अलग टाइम बताते हैं। हम यहां आपको एक औसत समय बता रहे हैं:
जिंक और मैग्नीशियम भी जरूरी है इम्यूनिटी के लिए
क्यों जरूरी है जिंक: जिंक हमारी इम्यूनिटी बढ़ाता है, इसलिए हमारे लिए भरपूर जिंक लेना बहुत जरूरी है। शरीर में कोई टूट-फूट हुई हो तो इसकी मदद से जल्दी ठीक होती है। यह नई कोशिकाओं को बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है। यह कि जिन चीजों में जिंक मिलता है, उनमें मैग्नीशियम की मौजूदगी भी अमूमन होती है।
यह जल्दी-जल्दी बीमार होने वाले लोगों को भी दिया जाए तो उनकी सेहत सुधरने लगती है। इसे रोजाना के खाने में शामिल करना चाहिए।
इतना ही नहीं शरीर में आंतरिक सूजन कम करने में भी जिंक की अहम भूमिका होती है। एक मुट्ठी ड्राई फ्रूट्स खाएं जैसे रातभर भीगे हुए बादाम, रोस्टेड मूंगफली आदि से काम चल जाता है।
मैग्नीशियम भी अहम: यह हमारी इम्यूनिटी के लिए तो जरूरी है ही, यह नसों को सही तरीके से काम करने के लिए जरूरी है। इतना ही नहीं, इससे मांसपेशियों को बहुत फायदा मिलता है। मांसपेशियों में होने वाली ऐंठन में भी कमी आती है।
मैग्नीशियम की जरूरत हड्डियों को भी होती है। दरअसल, कैल्शियम के साथ, मैग्नीशियम भी हड्डियों की मजबूती में अहम भूमिका निभाता है। यह हड्डियों में मिनरल्स को बनाए रखने में मदद करता है और ऑस्टियोपोरोसिस से बचाता है।
दिल की सेहत के लिए भी मैग्नीशियम का सही स्तर होना जरूरी है। इसकी कमी से कई बार दिल की धड़कन अचानक घट या बढ़ सकती है। इनके अलावा शुगर को काबू करने में भी मददगार है। इसके लिए ड्राई फ्रूट्स बेहतरीन सोर्स है।
-मोटा अनाज जैसे ओट्स, दलिया (इनके छिलके में जिंक होता है)
-मूंगफली के दाने, काजू और बादाम
-कुछ बीज जैसे - कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज, चिया सीड्स।
जिंक सप्लिमेंट: अगर नहीं पता कि किसी के शरीर में जिंक की कमी है या नहीं, तब भी जिंक सप्लिमेंट लिए जा सकते हैं। यह टॉक्सिक नहीं होता। इसलिए इसे लेना सुरक्षित होता है। रिसर्च में देखा गया है कि इम्यूनिटी बढ़ाने की अपनी क्षमता की वजह से जिंक कोरोना के वक्त में बहुत फायदा पहुंचा रहा है। यह जल्दी ठीक होने में मदद करता है। आमतौर पर मल्टिविटामिन की गोलियां भी दी जाती हैं। इसमें जिंक भरपूर होता है। रोजाना 10 mg की जिंक की गोली ली जा सकती है। इसे एक महीने से लेकर तीन महीने तक ले सकते हैं। इतना जिंक लेना पर्याप्त हैं।
भोजन में हो आयुर्वेद के रंग हर रंग, रस हो शामिल
डाइट और स्वाद दोनों का ख्याल रखें। यह जरूरी नहीं है कि हेल्दी खाना बेस्वाद हो। लेकिन जिन चीजों को काढ़े में इस्तेमाल कर रहे हैं, उनको दूसरी चीजों में बार-बार न लें। अगर हल्दी सब्जियों में डाल रहे हैं और साथ में दो बार हल्दी वाला दूध भी ले रहे हैं तो हल्दी को बार-बार काढ़े में न डालें।
रंगारंग खाना
हरा रंग पत्ते वाली और बाकी हरी सब्जियां लौकी, तौरी, कद्दू, ब्रोकली, साग पालक, पत्ता गोभी, अमरूद आदि। ये सूजन घटाने में मदद करती हैं। इसलिए हरी सब्जियां जरूर खानी चाहिए।
पीला और संतरी रंग केला, संतरा, नींबू, पपीता, बेल, गाजर आदि।
नीला और बैंगनी रंग बैंगन, चुकंदर, पत्ता गोभी बैंगनी, बैंगनी रंग के अंगूर, जामुन, फालसे, अनार।
गहरा लाल: शकरकंदी, टमाटर।
सफेद और भूरा प्याज, मूली, लहसुन, गोभी, शलगम।
ये सभी रंगों की चीजें पोषक तत्वों से युक्त हैं।
नोट : यहां बताई गई सब्जियों और फलों के अलावा इन रंगों की और भी चीजें हैं जो खाई जा सकती हैं।
6 रस (स्वाद) चखें
खाने में ये सभी स्वाद शामिल करें:
1. मधुर (मीठा) : केला, शहद, खजूर, गाजर, नारियल, घी, दूध, मुलेठी, फालसा
2. अम्ल (खट्टा): इमली, नीबू, अनार, दही, कांजी
3. लवण (नमकीन): अचार, सेंधा और समुद्री नमक
4. कटु (तीखा): मिर्च, लहसुन, प्याज, मूली, अदरक, सोंठ, हींग, पिप्पली
5. तिक्त (कड़वा): करेला, नीम, गिलोय, हल्दी, पालक
6. कषाय (कसैला): हल्दी, कच्चे केले।

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